Wednesday, 12 September 2012

संध्या नवोदिता की लघु कविताएं


मित्रों अंजू जी की अस्वस्थता की वजह से इस ब्लॉग पर एक अल्प विराम रहा है। आज के अंक मे हम आपके लिये ले कर आए हैं संध्या नवोदिता जी की कुछ लघु कविताएं। 'देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर' की तरह ही संध्या जी की कविताएं अंतर्निहित संदेश को पाठक तक प्रेषित करने मे पूरी तरह सक्षम हैं।

यह एक सुखद संयोग है कि आज 12 सितंबर संध्या जी का जन्मदिन है। 'उड़ान अन्तर्मन की' और इसके सभी पाठकों की ओर से संध्या जी को हमारी हार्दिक शुभ कामनाएँ!



संध्या नवोदिता
जन्म : १२ सितम्बर १९७६. बरेली
एक संवेदनशील कवयित्री, कवि गोष्ठियों में निरंतर शिरकत, सहारा समय के लिए फीचर लेखों की लम्बी श्रृंखला!
'जिसे तुम देह से नहीं सुन सके' काव्य संग्रह प्रकाशाधीन
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कवितायेँ प्रकाशित
'HISTORY WILLABSOLVE ME' फिदेल कास्त्रो की किताब का हिंदी अनुवाद 'इतिहास मुझे बरी करेगा', फिदेल कास्त्रो के लेख Words to Intellectuals का हिंदी अनुवाद  'बुद्धिजीवियों से मुखातिब'






औरतें


कहाँ हैं औरतें?
जिंदगी को रेशा-रेशा उधेड़ती
वक़्त की चमकीली सलाइयों में
अपने ख्वाबों के फंदे डालती
घायल उँगलियों को तेज़ी से चला रही हैं औरतें

एक रात में समूचा युग पार करतीं
हांफती हैं हफ-हफ
लाल तारे से लेती हैं थोड़ी-सी ऊर्जा
फिर एक युग की यात्रा के लिए
तैयार हो रही हैं औरतें

अपने दुखों की मोटी नकाब को
तीखी निगाहों से भेदती
वे हैं कुलांचे मरने की फिराक में
ओह, सूर्य किरणों को पकड़ रही हैं औरतें


गलती वहीँ हुई थी


तुम्हारे अँधेरे मेरी ताक में हैं
और मेरे हिस्से के उजाले
तुम्हारी गिरफ़्त में

हाँ
गलती वहीँ हुई थी
जब मैंने कहा था
तुम मुझको चाँद ला के दो

और मेरे चाँद पर मालिकाना तुम्हारा हो गया


इन दिनों


एक जंगल-सा उग आया है
मेरे भीतर
इन दिनों

वहां रास्ते नहीं
पगडंडियाँ नहीं
कोई जाने-पहचाने निशान नहीं

कोई जल्दी नहीं
बेख़बर है यह दुनिया
समय की हलचलों से

चाँद उग आया है यहाँ
उल्टा होकर


सीख रही हूँ मैं


मैं सीख रही हूँ
शब्दों को सीधा रखना
तरतीबवार
अलगनी से उतार कर
सलीके से उनकी सलवटें निकालना
शब्दों को पहचानना उनकी परछाईं से
उनमें गुंजाइशें तराशना
सीख रही हूँ

दरअसल
शब्दों को छीला जाना है अभी
ताकि वे बने नागफनी-से नुकीले
और छूते ही टीस भर दें 


प्रस्तुति--यशवन्त माथुर 
सहयोग-अंजू शर्मा 

16 comments:

  1. संध्या जी का जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें और आपका सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार

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  2. बहुत सुन्दर रचनाएँ...
    संध्या जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं...

    शुक्रिया यशवंत शुक्रिया अंजू जी

    सस्नेह
    अनु

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  3. बहुत प्रभावी रचनाएं ...
    संध्या जी को जनम दिन की शुभकामनायें ...

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  4. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 13-09 -2012 को यहाँ भी है

    .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शब्द रह ज्ञे अनकहे .

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  5. मेरी टिपन्नी नहीं दिख रही ॥स्पैम देखिएगा

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  6. बहुत प्रभावी रचनाएं

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  7. जन्म दिन की हार्दिक शुभ-कामनाएँ.
    *
    लाल तारे से लेती हैं थोड़ी-सी ऊर्जा
    फिर एक युग की यात्रा के लिए
    तैयार हो रही हैं औरतें!
    और -
    शब्दों को छील रही हैं वे
    ताकि वे बने नागफनी-से नुकीले
    और छूते ही टीस भर दें !

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  8. संध्या जी का जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें………प्रभावशाली रचनायें।

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  9. फूलोँ की सुगंध से सुगन्धित हो जीवन आपका
    तारों की चमक से सम्मिलित हो जीवन आपका
    उम्र आपकी हो सूरज जैसी
    याद रखे जिसे हमेशा दुनिया
    जन्मदिन में आप महफिल सजाएं आप ऐसी
    शुभ दिन ये आये आपके जीवन में हज़ार बार
    और हम आपको ”जन्मदिन मुबारक” कहते रहें हर बार.. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
    और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  10. शुभ जन्मदिवस संध्याजी । बहुत सुंदर क्षणिकाएं हैं ।


    अपने दुखों की मोटी नकाब को
    तीखी निगाहों से भेदती
    वे हैं कुलांचे मरने की फिराक में
    ओह, सूर्य किरणों को पकड़ रही हैं औरतें

    वाह

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  11. आप सभी मित्रों का बहुत बहुत शुक्रिया ...

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  12. जीवन की अनुभूतियों को आपने सुन्दर सब्दों में सजाया है ,बधाई .मेरी "स्मृति के पन्नों से " देखिये ,अपनी अमूल्य राय दें .

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  13. सुन्दर प्रस्तु्ति

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